HOUSEFULL SHOWS on 24 & 26 November, 2019 @ Badwaha City, Madhya Pradesh
Mamta Talkies:
Cinema Hall Capacity = 350 seats
Day 1: 525 people watched the film out of which around 350- 375 seekers received their self realization
Day 2: 300 seekers received their self realization
टाकीज़ ममता क्षमता 350 व्यक्ति
पहला शो 24-11-19 समय प्रातः 9.40 बजे - तकरीबन 525 लोग आए । नियमित सहजी आस पास के भी मिलाकर 150, नए साधक लगभग 350- 375 ।
दूसरा शो 26-11-19 मंगलवार - गवर्मेंट डिग्री कॉलेज के केवल छात्रों को निमंत्रित किया -लगभग 300 नए साधक आये ।
🙏 जय श्री माताजी🙏
ये बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि काफी इंतजार के बाद बड़वाह में फ़िल्म " ग्रह लक्ष्मी " का प्रसारण हुआ। ये बड़े ही आश्चर्य की बात है कि इतने कम प्रयास, कम मेहनत और कम खर्च में हम परमेस्वरी के इस कार्य (आत्म साक्षात्कार ) को बड़े ही सुगम तरीके से कर सकते है।
सबसे बड़ी बात ये है कि हर कोई हमे शुरू से ही पूरे सम्मान से देखता है । क्योकि हर कोई भौतिकता की ओर अग्रसर होता है । टाकीज़ वालो से लेकर जिन्हें हम बुला रहे है वो भी यही समझते है कि हम उन्हें बुलाकर उन्हें सम्मानित कर रहे है । परमेस्वरी कि व्यवस्था ऐसी है कि टाकीज़ वाला जैसे आपका इंतजार ही कर रहा है । पैसे वगेरह की बात तो अपनी जगह है, वो तो आपको देना ही है , चाहे वो न भी कहे तो ।
रही बात फ़िल्म की कोई भी नया व्यक्ति चाहे उसकी आध्यत्म में रुचि नही भी हो फिर भी वो फ़िल्म देखकर बोर नही होगा । श्रीमाताजी का पूरा चित्त इस फ़िल्म पर है । भजन "तेरी सांसो की एक लड़ी जब" में पूरा शरीर ठंडा हो जाता है ।
कुल मिलाकर फ़िल्म सर्वप्रथम हम सब सहजीयो को देखना भी चाहिये और ज्यादा से ज्यादा नए लोगो को बकायदा निमन्त्रित कर के दिखाना भी चाहिए ।
🙏 जय श्री माताजी 🙏
निलेश सुराणा
समन्वयक बडवाह सेंटर
बच्चों द्वारा तालियां बजा बजा कर फ़िल्म का मज़ा लिया गया ।
सबसे ज्यादा तालियां तब बजी जब समायरा ध्यान करने निर्मल धाम पहुँची ।
---अभय पारस
पूर्व समन्वयक बडवाह
ये बताते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि काफी इंतजार के बाद बड़वाह में फ़िल्म " ग्रह लक्ष्मी " का प्रसारण हुआ। ये बड़े ही आश्चर्य की बात है कि इतने कम प्रयास, कम मेहनत और कम खर्च में हम परमेस्वरी के इस कार्य (आत्म साक्षात्कार ) को बड़े ही सुगम तरीके से कर सकते है।
सबसे बड़ी बात ये है कि हर कोई हमे शुरू से ही पूरे सम्मान से देखता है । क्योकि हर कोई भौतिकता की ओर अग्रसर होता है । टाकीज़ वालो से लेकर जिन्हें हम बुला रहे है वो भी यही समझते है कि हम उन्हें बुलाकर उन्हें सम्मानित कर रहे है । परमेस्वरी कि व्यवस्था ऐसी है कि टाकीज़ वाला जैसे आपका इंतजार ही कर रहा है । पैसे वगेरह की बात तो अपनी जगह है, वो तो आपको देना ही है , चाहे वो न भी कहे तो ।
रही बात फ़िल्म की कोई भी नया व्यक्ति चाहे उसकी आध्यत्म में रुचि नही भी हो फिर भी वो फ़िल्म देखकर बोर नही होगा । श्रीमाताजी का पूरा चित्त इस फ़िल्म पर है । भजन "तेरी सांसो की एक लड़ी जब" में पूरा शरीर ठंडा हो जाता है ।
कुल मिलाकर फ़िल्म सर्वप्रथम हम सब सहजीयो को देखना भी चाहिये और ज्यादा से ज्यादा नए लोगो को बकायदा निमन्त्रित कर के दिखाना भी चाहिए ।
🙏 जय श्री माताजी 🙏
निलेश सुराणा
समन्वयक बडवाह सेंटर
बच्चों द्वारा तालियां बजा बजा कर फ़िल्म का मज़ा लिया गया ।
सबसे ज्यादा तालियां तब बजी जब समायरा ध्यान करने निर्मल धाम पहुँची ।
---अभय पारस
पूर्व समन्वयक बडवाह
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